ज़िंदगी एक खेल के मैदान की तरह है । जो भी बाज़ी हाथ में है, खेलना तो उसी में है । फिर डर के क्यों खेलना । जीत या हार इनमें से एक ही तो मिलना है । और फिर जब जीत के लिए खेल रहे हो तो ज़िंदादिली से खेलो ना ।
- सपना जैन
@mankiudaanbysapnajain
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