लोग कहते हैं कि विरासत सँभालने के लिए अपना वारिस होना चाहिए
पर असली विरासत तो वो है कि पूरी दुनिया ही उस विरासत का वारिस हो
जज्बा चाहिए ऐसी विरासत बनाने के लिये
और एक दिल चाहिये उसका वारसी सबको बनाने के लिए
डॉ अब्दुल कलाम ने जो विरासत छोड़ी है अपने पीछे
उसे अपनाने को हर किसी में एक होड़ है
लेकिन उस होड़ में किसी से जलन नहीं है
बस है तो बाँटने की ललक
कोई उनके सन्देश बाँट रहा है
तो कोई उनके बारे में बता रहा है
कोई उनकी तस्वीरे दिखा रहा है
तो कोई उनके आदर्श समझा रहा है
मुझे नहीं समझ आया मैं क्या बांटू इस भीड़ में
क्योंकि बाँटने के लिये मेरे पास सिर्फ दो आंसू हैं
जो उनके जाने की खबर सुनके आँखों से लुढक आये
Monday, July 27, 2015
असली विरासत
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