कई टुकड़ों से मिलकर बनी हूँ
कैसे कह दूँ कि मैं सम्पूर्ण हूँ ||
जन्म दिया माँ ने और डाले अपने गुण
सिखाया हमेशा अपने से भी आगे बढ़ना
पिता ने सिखाये जीवन के अक्षर
बांटे अपने खुद के अनुभव
कतरों - कतरों में सीखकर उम्र बढ़ी
कैसे कह दूँ कि मैं पूर्ण हूँ
कई टुकड़ों से मिलकर बनी हूँ
कैसे कह दूँ कि मैं सम्पूर्ण हूँ ||
ज़िन्दगी के थपेड़ों ने सिखाया संघर्ष
और बनी एक नई दास्ताँ
एक नन्हीं चीटी ने सिखाया लगन
प्रकृति के हर पत्तों ने डाली जान
संघर्षों से लड़कर मजबूत बनी
कैसे कह दूँ कि मैं पूर्ण हूँ
कई टुकड़ों से मिलकर बनी हूँ
कैसे कह दूँ कि मैं सम्पूर्ण हूँ ||
जब भी कभी आता है अहम् कि मैं पूर्ण हूँ
मुझसे बढ़कर कुछ नहीं
तभी देखती हूँ आइने में अपनी झलक
और नज़र आती हैं दरारें
कई हिस्सों में बंटकर जुड़ी हुई
कैसे कह दूँ कि मैं पूर्ण हूँ
कई टुकड़ों से मिलकर बनी हूँ
कैसे कह दूँ कि मैं सम्पूर्ण हूँ ||
उम्र के एक पड़ाव पर
जब बिछड़ जायेंगे सब
फिर एक नन्हीं कली लेगी जन्म
टुकड़ों से पूर्ण बनने को
तिनकों - तिनकों से मिलकर खड़ी हुई
कैसे कह दूँ कि मैं पूर्ण हूँ
कई टुकड़ों से मिलकर बनी हूँ
कैसे कह दूँ कि मैं सम्पूर्ण हूँ ||
Sapna Jain
26th September 2019
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