ख़ुद पहले अपनाइए
आज कल सोशल मीडिया के जितने भी माध्यम हैं उन पर बहुत सारी ज्ञान की बातों का भंडार भरा होता है और लोग धड़ल्ले से उन्हेंफ़ारवर्ड और शेयर करते रहते हैं, अपने फ़ेसबूक एकाउंट पर, वट्स ऐप स्टेटस, इंस्टा स्टोरी और यहाँ तक लिंकडिन और ट्विटर तक भी ।बातें और लाइंस तो बहुत भारी-भरकम शब्दों और मेसेज वाली होती हैं । और उन पोस्ट पर कमेंट्स भी उन बातों की सहमति के ही होतेहैं जैसे - बिल्कुल सही, ट्रु, सही बात और इसके साथ होते हैं तालियों के साइन, सूपर के साइन वग़ैरह वग़ैरह ।
लेकिन क्या हमारा ध्येय सिर्फ़ उन बातों को लोगों तक पहुँचाना मात्र है । क्या एक डाकिया यानि कि पोस्ट मैन हैं हम जिसे लिफ़ाफ़ाअपने गंतव्य तक पहुँचाना तो है लेकिन उस लिफ़ाफ़े मैं मेसेज क्या है ये पढ़ने व समझने का हक़ नहीं है । क्यों एक पोस्ट मेन के जैसाबनना जबकि आप ख़ुद हक़दार हैं उस मेसेज को पढ़ने समझने के लिए ।
पहले दूसरों पर किसी तरह का ज्ञान थोपने से पहले ख़ुद के अंदर झांकिए, अपनी नज़र से नहीं बल्कि सामने वाले की नज़र से । तबआपको अपनी असली तस्वीर नज़र आएगी की शायद हम जो दूसरे से आशा रख रहे हैं अपने लिए, शायद हम ख़ुद दूसरों की आशाओंपर खरे नहीं उतरते । और एक बार जब आप ये बात समझ जाएँगे तो ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी किसी भी तरह के फ़ालतू मेसेज दूसरों तकपहुँचाने की । फिर तो आप सिर्फ़ पहुँचाएँगे प्यार, स्नेह वो भी बिना किसी शिकायत, गिले या शिकवे के ।
- सपना जैन, मन की उड़ान
No comments:
Post a Comment