“जब आप किसी विकल्प को चुनते हैं तो उसके परिणामों को विनम्रता के साथ स्वीकार कीजिए”
इस किताब के अंतिम पृष्ठ पर लिखी है एक बात जिसे शायद हर किसी को अपनाना चाहिए
“सीता के पाँच निर्णय” रामायण की एक अनूठी प्रस्तुति - श्री देवदत्त पट्टनायक जी Devdutt Pattanaik के द्वारा लिखी गई है और इसका हिन्दी भाषा में अनुवाद किया है श्री प्रभात रंजन जी ने ।
१३० पृष्ठों में समाहित है रामायण का सार ।
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