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सबकी अपने - अपने हिस्से की ज़िंदगी है । दूसरे के हिस्से की ज़िंदगी देखकर ख़ुद को कम क्यों आंकना
दोस्तों मैं हूँ सपना जैन . Zeal zindagi with Sap के ज़रिये मैं हमेशा ये कोशिश करती हूँ कि आप जहाँ भी हैं जैसे भी हैं - ज़िंदादिली से जियें … घुटकर नहीं ।
अपने इस पॉडकास्ट “ सबकी अपने हिस्से की ज़िंदगी है ” इसके माध्यम से मैं हर इंसान की ज़िंदगी अच्छी है उसके बारे में बात करूँगी और मेरा ये पॉस्कास्ट सुनकर अगर आपको भी अपनी ज़िंदगी से प्यार हो जाये , अपने आपसे प्यार हो जाये तो मेरा मक़सद इस पॉडकास्ट को करने का पूरा हो जाये ।
हम अक्सर अपनी ज़िंदगी को नॉर्मल मानकर उसे इगनोर करते रहते हैं और उसको एक ख़ास अहमियत नहीं देते । इसके साथ ही अपनी ज़िंदगी के साथ एक और बुरा काम करते हैं … दूसरों की ज़िंदगी को अहमियत देकर अपनी ज़िंदगी को लताड़ते रहते हैं ।
आप ख़ुद सोचिए कि आपके पास कोई ऐसा इंसान है जो आपको हमेशा कुछ देने की और आपको खुश रखने की कोशिश करता है लेकिन आप हैं कि कभी उसके किए पर खुश ही नहीं होते बल्कि उसको ये सुनाते रहते हैं कि उस आदमी को देखो इसको देखो वगौरह वग़ैरह । अब आप ही बताइए वो इंसान आपके लिए कब तक करता रहेगा । या तो आपको वो छोड़कर चला जायेगा या फिर अनमने ढंग से आपके साथ रहेगा ।
अब ठीक इसके विपरीत सोचिए कि आप उस इंसान के द्वारा किए गए हर काम की सराहना करते हैं , उसे तवज्जो देते हैं उसकी तारीफ़ करते हैं तो वो इंसान आपके लिए हर काम दोगुनी ख़ुशी से करेगा ।
बस यही ज़िंदगी के साथ है । हमारी ज़िंदगी हमें हर वो चीज़ देने की कोशिश करती है जो हमें खुश रखेगा - गलती तो हमारी है कि हम अपनी ज़िंदगी से इच्छायें ही कुछ ज़्यादा पाल लेते हैं और फिर उसे कोसते रहते हैं जो बिलकुल ग़लत है ।
जिस दिन से हम ज़िंदगी में क्या नहीं मिला उसको सोचने के बजाय ये सोचने लग जाएँगे कि ज़िंदगी में क्या मिला उसी दिन से हम ज़िंदगी को सराहने लगेंगे । देखिए सबकी अपने हिस्से के ज़िंदगी है , हम उसी को इंजॉय करें ना । नाकी दूसरों की ज़िंदगी में क्या है उसे सोचकर अपनी ज़िंदगी ख़राब करें ।
अब सूरज अगर ये सोचने लगे कि चाँद इतना शीतल क्यों है , मैं क्यों शीतल नहीं हूँ । और चाँद सोचे कि वाह सूरज के तो मज़े हैं , हमेशा सोने जैसा चमकता रहता है और अपने तेज से सबको डराता रहता है । ( हंसी ) सोचिए फिर कैसे काम चलेगा ?
सबकी अपनी ज़िंदगी है और उसे उसी के हिसाब से जीनी है । हाँ अपनी ही ज़िंदगी को हमेशा बेहतर बनाने का प्रयास नहीं छोड़ना है । लेकिन अपने हिस्से की ज़िंदगी को जीते हुए ।
नमस्कार