Writer & Entrepreneur

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DREAM CREATION

Wednesday, February 27, 2013

कुछ अधूरापन सा है तुम बिन

वैसे ही निकलता है चाँद रात में
और दिन को उजाला देता है सूरज
वैसे ही चहकती हैं चिड़ियाँ भोर में
और टिमटिमाते हैं तारे रात में

पर  नहीं होती वैसी रातें और वो दिन
क्योंकि कुछ अधूरापन सा है तुम बिन ||

वो तुम्हारा प्यार से थपकी देकर सुलाना
और प्यार भरी नज़रों से सुबह जगाना
मेरा बेवजह रूठना और तुम्हारा बातों बातों में मनाना
तुम्हारा ज़िंदगी में यूं आना और हर बार हार जाना

पीछा करता है मेरा पूरे दिन
क्योंकि कुछ अधूरापन सा है तुम बिन ||

तुम्हारा  हर वो एहसास और तुम्हारी हर धड़कन
मेरे थोड़ा भी दूर होने पर तुम्हारी वो तड़पन
तुम्हारा प्यार, तुम्हारा साथ
तुम्हारे जज्बात और तुम्हारी हर बात

बातें करते हैं मुझसे पूरा दिन
क्योंकि कुछ अधूरापन सा है तुम बिन ||