Writer & Entrepreneur

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DREAM CREATION

Sunday, September 30, 2012

जी लेने दो मुझे

आरजू है मेरी भी जीने की 
इस सुन्दर दुनियाँ में आने की 
मैं हूँ बिटिया तेरे घर आँगन की 
सजनी हूँ मैं अपने साजन की 
अगर लगा दोगे पहरा आने पर मेरे 
मार दोगे मुझे जन्म लेने से ही पहले
तो मैं कैसे महकूँगी तेरे आंगन में 
गूंजेगी कैसे शहनाई घर साजन के 
पापा की परी फिर उड़ेगी कैसे 
मम्मी की गुड़िया फिर खेलेगी कैसे 
भाई का हाथ रह जायेगा सूना 
फिर क्यूँ न आऊँ पापा बताओ ना 
बरसाउंगी मैं प्यार का हर रंग 
पहले अपने घर फिर साजन के संग 
किससे कहोगे पापा अपने दिल की बात 
अगर नहीं आने दोगे मुझे तुम अपने पास 
थामूंगी तुम्हारा हाथ जब चाहिए तुम्हें साथ 
सुनूंगी तुम्हारी हर बात और तुम्हारे हर जज़्बात 
बताओ न पापा क्यूँ मार रहे हो मुझे 
आने दो पापा जी लेने दो मुझे  ||

Its a request from a Girl Child to her Father...

4 comments:

  1. bahut hi maarmik rachna.....kanya bhoorn hatya ke vishya ko bahut bhavnaatmak roop se prastut kiya hai ....bahut khoob

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  2. Bahut khubsurat kavita hai ...... Ish bhrun Haatya jese samajik burai per

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