आरजू है मेरी भी जीने की
इस सुन्दर दुनियाँ में आने की
मैं हूँ बिटिया तेरे घर आँगन की
सजनी हूँ मैं अपने साजन की
अगर लगा दोगे पहरा आने पर मेरे
मार दोगे मुझे जन्म लेने से ही पहले
तो मैं कैसे महकूँगी तेरे आंगन में
गूंजेगी कैसे शहनाई घर साजन के
पापा की परी फिर उड़ेगी कैसे
मम्मी की गुड़िया फिर खेलेगी कैसे
भाई का हाथ रह जायेगा सूना
फिर क्यूँ न आऊँ पापा बताओ ना
बरसाउंगी मैं प्यार का हर रंग
पहले अपने घर फिर साजन के संग
किससे कहोगे पापा अपने दिल की बात
अगर नहीं आने दोगे मुझे तुम अपने पास
थामूंगी तुम्हारा हाथ जब चाहिए तुम्हें साथ
सुनूंगी तुम्हारी हर बात और तुम्हारे हर जज़्बात
बताओ न पापा क्यूँ मार रहे हो मुझे
आने दो पापा जी लेने दो मुझे ||
Its a request from a Girl Child to her Father...
bahut hi maarmik rachna.....kanya bhoorn hatya ke vishya ko bahut bhavnaatmak roop se prastut kiya hai ....bahut khoob
ReplyDeleteBahut khubsurat kavita hai ...... Ish bhrun Haatya jese samajik burai per
ReplyDeletegood expression
ReplyDeleteThanks for the appreciation
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