जैसी हूँ मैं आज
कुछ आती हैं यादें बचपन की
कुछ दिखती हैं धुंधली सी तस्वीरें
वो आपका हर पल साथ देना
हर मुश्किलें कदम पर साथ खड़े रहना
मेरी हर गलती को टालना, मेरी हर इच्छा को अपनाना
बस थोड़ा सा हँसकर मेरी हर ख्वाहिश पूरी करना
याद है मुझे वो खेल में हराना ताकि मै दुनिया से जीत सकूँ
वो रात में मुझे डराना ताकि मै डर को भगा सकूँ
वो सब तब लगता था क्यों करते हो आप
पर आज समझी उसका मतलब
मुझे ज़िंदगी के लिए तैयार करते थे आप
आज भी याद है वो बेड पर तकियों से लड़ना
और मेरे हार जाने वा मुँह फुला लेने पर आपका वो कहना
"तुम्हें अपने अंदर कोई कमजोरी नहीं रखनी है "
खेल की टीम में आपके होने पर मेरी उस निश्चिन्तता को भगाना
कि आप हैं तो मै जीतूंगी ही...पर आपका वो कहना
"यहाँ हम सिर्फ प्रतिस्पर्धी हैं"
तब लगता था ये क्यूँ कहते हो आप !!!
पर आज समझ आया कि मुझे ज़िंदगी के लिए तैयार करते थे आप
आज जब ज़िंदगी के साथ रूबरू होती हूँ
और ज़िंदगी के हर पल को जीतती हुई चलती हूँ
तब आती है याद कि आपने मुझे तैयार किया है ये दुनिया जीतने के लिए
और बिल्कुल वैसे जैसी हूँ मैं आज ||
i love him a lot.
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